ध्वनि, वायु व जल प्रदूषण
प्रदूषण कैसे कैसे,
सब जीवों के दुश्मन हैं ये
आतंकवादियों जैसे ।
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धूम-धड़का, शोर-शराबा
बेहद हानिकारक,
कानों को ये बधिर बना दें
इनकी शक्ति मारक ।
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इसीलिए सीमित कर ध्वनि को
प्रदूषण रुके बिन पैसे । ।
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पेट्रोल, डीज़ल के धुंए से
प्रदूषित होती वायु,
हवा में घुलता ज़हर इसी से
जीवों की घटती आयु ।
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वृक्ष लगाओ, ये वायु के
शुद्धिकारक जैसे । ।
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गंदे - दूषित जल से नदियों का
पानी निर्मल नहीं,
जल-संरक्षण व जल-उपचार
ये उपाय हैं सही ।
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जल ही जीवन है ये मानो
जल को जल के जैसे । ।
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भू को दूषित कर रहे
कचरा - पोलिथीन,
जिससे होती भूमि की
उर्वरा शक्ति क्षीण ।
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भू-प्रदूषण रोको वरना
अन्न उगेगा कैसे ? ?
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राकेश 'सोहम'
एक सुन्दर पर्यावरण कविता से आगाज !
ReplyDeleteSundar vardan.
ReplyDelete-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
धरा सुसज्जित होती जिनसे, वो ही वृक्ष कहाते हैं,
ReplyDeleteजो गौरव और मान बढ़ाते, वो ही दक्ष कहाते हैं।
हरित क्रान्ति के संवाहक, ये जन,गण के रखवाले,
प्राण प्रवाहित करने वाली, मन्द समीर बहाते हैं।
पत्ते, फूल, मूल, फल इसके, जीवन देने वाले हैं,
देते हैं ये अन्न और अमृत सा, जल बरसाते हैं।
उपवन, आँगन, खेत, बाग में हमको पेड़ लगाने हैं,
इनकी शीतल छाया में ही जीव-जन्तु सुख पाते हैं।
धरती का श्रंगार अमर है पेड़ों की हरियाली से,
कदम-कदम पर ये जीवन में काम हमारे आते हैं।